एक दिन अचानक...

एक दिन अचानक...

एक शहर
चमकीली काली रातें
खून बलात्कार पार्टीया रौनक फूटपाथ ऐश 
अफेयर दोस्त नाजायज अपने पराये

खून के बाद खून
न समझ पाया कोई कौन है जो
सताए उन औरतो को
कर जाए कतल हर दो हफ्ते 

पुलिस हैरान... 
न आगे बढे तेहक़ीक़ात
हर एक पुलिस जो करे
हो जाए अलग... 
केस के आगे केस... 
कौन है ये जो जीते हर रेस
ना कोई ट्रेस... 

जासूस आए..
आए लेके कई हल,
बढती गई दलदल
बढती गई खुनोकी श्रृंखला
अभी भी कुछ नहीं बदला

बस था किसी का वो
अब कोई नहीं था उसका...
अब ले रहा है इन्तकाम
उसके साथ जो हुआ
जिसने किया उसे..ना पता
जिसके साथ किया उसे भी ना भनक

To be continued...

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