एक वो दिन भी थे, एक ये दिन भी है
अब आप सुनेंगे रेखा भारद्वाज का गाया हुआ उन्नीसौसत्यान्वे में बनी फ़िल्म
चाची चारसौबीस का गाना...
गीतकार है गुलज़ार साहब और संगीतबद्ध किया है विशाल भारद्वाजजीने....
एक वो दिन भी थे, एक ये दिन भी है
एक वो रात थी, एक ये रात है
रात ये भी गुज़र जाएगी
कोई आता है पलकों पे चलता हुआ
एक आँसू सुनहरी सा जलता हुआ
ख़्वाब बुझ जायेंगे, राख रह जाएगी
रात ये भी गुजर जाएगी
वक़्त सालों की धूँध से निकल जाएगा
तेरा चेहरा नज़र से पिघल जाएगा
आँख बंद होगी तो, नींद आ जाएगी
रात ये भी गुजर जाएगी
काय सुंदर गाणं आहे हो हे! त्यात छान आवाज, शब्द... संगीत... अभिनय सर्वच जमुन अलेलंय! कायमचं घर करून बसलय हे मनात! धेन्यू त्या प्रत्येक जीवाला ज्यानी हे गाणं बनवायला मदत केल्ये!
लिंक देत आहे... एकदा तरी जरूर ऐका/पहा http://youtu.be/WdRrO19p5_0
#सशुश्रीके
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